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लेखनी कहानी -09-Mar-2022 प्रतिलिपि हवेली में होली का हुरंगा

तेरी आंख्यां का यो काजल गीत अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि सूर्यनारायण पेरी जी को जोश आ गया । पेरी जी आंध्र प्रदेश के हैं जहां होली को कोई जानता तक नहीं । मगर हमारी सोहबत का असर ऐसा ही होता है कि हर कोई हमारे रंग में रंग जाता है । पेरी जी पर भी हमारा जादू चल गया । बंदा पिघल गया । शायद ऐसे मदमस्त माहौल को देखकर उनका दिल भी मचल गया । वे राजस्थान के प्रसिद्ध जोधपुरी सूट और लहरिया साफे में जंच रहे थे । जैसे जोधपुर के महाराज हों । विनय जी टक्सीडो सूट में माइकल जैक्सन को भी मात कर रहे थे । सूर्येन्दु जी और कुलदीप जी पंजाबी कपड़ें और किलंगे लगाकर भांगडा डाल रहे थे । उन्होंने पेरी जी को अधर उठा लिया और सबके सामने लाकर नाचने गाने लगे । 


होरी खेलै रघुवीरा हवेली में होरी खेलै रघुवीरा 
होरी खेलै रघुवीरा हवेली में होरी खेलै रघुवीरा 
घिर घिर आवैं लेखक लेखिकाएं 2 
भई प्रतिलिपि पे भीरा , हवेली में होरी खेलै रघुवीरा । 

कुलदीप जी, विनय जी, रोहित जी ठुमके लगाने लगे । दीवानी, मस्तानी और तूफानी टोली की बालाएं गुब्बारे फेंक फेंक कर उनका उत्साह वर्धन कर रही थी । स्वागत दल की संयोजिका अपनेश जी के नेतृत्व में एक अलग दल "शेरनी" बन गया और वे अलग ही डांस करने लगीं । अब हमें मौका मिल गया । हमने और श्री ने मौके का फायदा उठाया और उनके द्वारा तैयार किये गये गुब्बारे उन पर ही फेंक कर उनकी "सिकाई" करने लगे । जैसे ही गुब्बारा उन पर पड़कर फूटता वे जोर से "हाय दैया" कहकर चिल्लातीं और हम ताली बजाते । 

उनकी हालत पतली होने लगीं तो अचानक शबाना परवीन जी देवी की तरह प्रकट हुईं और शेरनियों के सामने डटकर खड़ी हो गई । उनके हाथ में पतले गमछे का बनाया हुआ एक मजबूत कोड़ा था जो हंटर जैसा लग रहा था । इस "दुर्गा अवतार" को देखकर परवाने स्तब्ध रह गए और गुब्बारे फेंकने बंद हो गए । दो दो हथियारों से कैसे जीते कोई ? एक तो महिला और दूसरा "कोड़ा" । सब परवाने औकात में आ गए । कहते हैं कि मार के आगे तो भूत भी भाग जाता हैं । यहां तो परवानों की शैतानी ही भाग गई । 😀😀😀 

जैसे ही युद्ध विराम हुआ नीलम गुप्ता जी, जया नागर जी, संगीता सिंह जी, विनीता जी भी आ गईं । उधर श्री पर सब सालियां टूट पड़ीं । कहने लगीं "आपने चीटिंग की है । आपको पहले से पता चल गया था कि हमने रंगों की बाल्टियां , बैलून तैयार कर रखे हैं । इसलिए आप अपनी जटाओं में फव्वारे छुपा लाये । ये सब "हरि" सर की चाल है । हमें यहां कह दिया कि बाल्टियां तैयार कर लो , उधर जीजू को फव्वारे तैयार करने के लिए कह दिया । नारद कहीं के ! । 
सब लोग चिल्लाने लगीं तो अनन्या जी आपे से बाहर हो गई । वे श्री के खिलाफ एक शब्द भी नहीं सुन सकती थीं और यहां तो उनकी आंखों के सामने ही श्री को घेर लिया गया था । बस चीर फाड़ करने की ही देर थी । वे ऐसे कैसे होने दे सकती थीं ।  गरज कर बोलीं "चुप । एकदम चुप । तुमको किसने अधिकार दिया श्री को कुछ भी कहने का ? यह काम मेरा है , बस मेरा । श्री को केवल मैं ही डांट सकती हूं और कोई नहीं । समझ में आया या नहीं " ? 
"सॉरी दीदी" 
"सॉरी की बच्ची । बड़ी आई । आगे से ध्यान रखना अच्छी तरह से । हां नहीं तो" । 

अनन्या जी का यह रौद्र रूप देखकर प्रिया जी,, रितु जी हतप्रभ रह गई । बड़ी आईं "जय वीरू" बनने वाली । उन्होंने अनन्या जी को समझा ही नहीं । श्री के लिये सब कुछ कुरबान है उनका । रोम रोम में श्री बसते हैं उनके । 

श्री ने जब अनन्या जी का यह रूप देखा तो जान में जान आयी । "शैतान की नानियों" से पिंड छूट गया । सच्चे प्रेम की यही तो निशानी है । प्रेमी को संकट में देखकर प्रेमिका भाग नहीं जाती , लोहा लेती है । इसी तरह सच्चा प्रेमी भी जान पर खेल जाता है । 

सब लोग हॉल में आ गये और अपनी अपनी कुर्सियों पर बैठने लगे । जैसे ही सत्यम सिन्हा जी कुर्सी पर बैठने लगे,  एक अजीब सी आवाज सीट से आई । सब लोगों ने  चौंककर उधर देखा और अर्थपूर्ण  हंसी से पूरा हॉल गूंज उठा । सत्यम सिन्हा जी का मुंह शर्म से लाल हो गया । दरअसल किसी ने सीट इस प्रकार लगाई थी कि जैसे ही कोई उस पर बैठे उस सीट से एक खास आवाज आये । बड़ी अर्थपूर्ण । 😊😊

गैस कीजिए की वह आवाज किसकी थी ? मैसेज बॉक्स में लिख भेजिये । जिसका सही उत्तर होग उसे ईनाम दिया जायेगा । 😀😀😀😀 
साथ में यह भी बता दीजिए कि यह शरारत किसकी हो सकती है । इसे आप कमेंट में लिख सकते हैं । 

बैठने के बाद अल्पाहार का दौर चला । सुनंदा जी, सुषमा जी, विनीता जी, जया जी, बबीता जी, कोमल जी, शिल्पा जी सबको अल्पाहार कराने लगीं । अल्पाहार में क्या क्या था ये आप सब लोग कमेंट में लिखिएगा । देखें किसकी कल्पना में क्या क्या है ?  बस एक बात मैं जरूर बता देता हूँ । बादाम पिस्ता की ठंडाई रीता मैम, अलका मैम, शीला मैम और सरस्वती  मैम, शशिकला मैम ने तैयार की थी जिसमें हमने चुपके से "भंग" मिला दी थी । इसका पता केवल मुझे और श्री को था बाकी किसी को नहीं । इतनी स्वादिष्ट थी ठंडाई कि लोग भर भर जग पीने लगे । हम दोनों मन ही मन मुस्कुराने लगे । श्री ने इशारे से अनन्या जी को बता दिया था । आखिर सच्चे वाले "..." थे न । 😊😊😊 
उन्होंने भी बस एक गिलास ही पी । 

अब सांस्कृतिक कार्यक्रम आरंभ होने वाला था । सांस्कृतिक दल की मुखिया सुषमा तोमर जी खड़ी हुईं और कहने लगीं 
"हमें बड़ा अच्छा लग रहा है कि हम सब आज प्रतिलिपि हवेली में होली के रंगारंग कार्यक्रम के लिए एकत्रित हुए हैं । हरफनमौला सर ने यह अवसर हमको प्रदान करवाया है । इसके लिए हम "हरि" सर को हार्दिक धन्यवाद देते हैं । जैसा कि आपको पता है कि कार्यक्रम शुरू करने से पहले अध्यक्ष, मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि का चयन किया जाता है । चूंकि यह होली का कार्यक्रम है इसलिए यहां पर इन तीन पदों के बजाय निम्न तीन पद सृजित किये जा सकते हैं 
महामूर्खाधिराज जो अध्यक्षता करेंगे 
परम मूर्ख जो मुख्य अतिथि होंगे और 
महामूर्ख जो विशिष्ट अतिथि होंगे । 

चूंकि भारत देश दुनिया का सबसे प्राचीन लोकतांत्रिक देश है इसलिए मैं चाहती हूं कि इन तीनों का चुनाव होना चाहिए । इसलिए आप.सबको यह करना है कि कमेंट बॉक्स में अपना वोट इस तरह लिखना है 

महामूर्खाधिराज   Mr. / Ms ......... {Name) 
परम मूर्ख           Mr. / Ms .... 
महामूर्ख भी ऐसे ही । 
इन पदों के चुनाव में अपना नाम भी लिखा जा सकता है । इसलिए यह एक्टिविटी सबको करनी है । जिसके ज्यादा वोट होंगे वही चुना जायेगा । 

हां एक बात और । इस कार्यक्रम में सबको होली पर टाइटल भी दिये जायेंगे । इसलिए मैसेज बॉक्स में सबके लिए या जिन जिन को जानते हैं, उनको टाइटल देकर गोयल सर के मैसेज बॉक्स में भेज दें । परसों उनकी घोषणा की जायेगी । 

आज के लिए इतना ही काफी है । बाकी कल करेंगे । 
😀😀😀
हरिशंकर गोयल "हरि"
14.3.22 

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4 Comments

Abhinav ji

14-Mar-2022 10:47 AM

Very nice👍

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Hari Shanker Goyal "Hari"

14-Mar-2022 04:08 PM

💐💐🙏🙏

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Punam verma

14-Mar-2022 09:03 AM

Very nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

14-Mar-2022 10:14 AM

धन्यवाद जी

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